सामान्य अनुशासन के नियम और निर्देश

महाविद्यालय परिसर में स्वस्थ शान्त विकसित वातावरण के लिए नैतिक अनुशासन बहुत ही महत्वपूर्ण हैं | इसमें छात्रो तथा अभिभावकों की सहायता अत्यन्त आवश्यक है | अनुशासन के मामले में प्राचार्य द्वारा गठित अनुशासन समिति के पास भेजे जायेगें | महाविद्यालय के नियमों का अतिक्रमण तथा अनैतिक कार्य वर्णित हैं | इस सत्र में संतोषजनक आचारण के विपरीत पाये जाने पर आगामी सत्र में छात्र/छात्रा का प्रवेश नहीं किया जा सकेगा | यदि कोई छात्र दुर्व्यहार या अवज्ञा के लिए दोषी पाया जायेगा तो अनुशासन समिति की सिफारिश पर प्राचार्य अपराध की प्रकृति तथा गुरुता के अनुरूप निम्नलिखित प्रकार के दण्ड दे सकते हैं -

क- चेतावनी

ख- अर्थदंड

ग- वित्तीय तथा अन्य सुबिधाओं से वंचित किया जाना |

घ- निलंबन (सस्पेंन्शन )

ङ- निष्कासन (एक्स्पल्शन)

च- चरित्र प्रमाण-पत्र का निरस्त्रीकरण तथा चरित्र प्रमाण-पत्र न दिया जाना |

छ- निस्सारण (रेस्टीकेशन) छात्रो को निम्नलिखित बातो पर विशेष ध्यान देना चाहिए-
1. छात्रो को उन सभी कार्यकलापों से दूर रहना चाहिए जो उनके या महाविद्यालय के लिए अवांछनीय है |
2. नियमित कक्षाओं तथा आयोजनों में समय से उपस्थित होना चाहिए |
3. महाविद्यालय सम्पत्ति की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखना चाहिए |
4. महाविद्यालय समय में सभी छात्र/छात्रा अपना परिचय-पत्र साथ रखें |
5. घंटा बजने से पूर्व छात्रों को कक्षाओं के सामने नहीं खड़ा होना चाहिए |
6. महाविद्यालय परिसर तथा बरामदो में अनावश्यक चहलकदमी नहीं करनी चाहिए |
7. महाविद्यालय परिसर में धूम्रपान व मादक द्रव्य का सेवन करके आना निषिद्ध है |
8. कार्यालय, पुस्तकालय और बरामदे में अनावश्यक भीड़ न लगावें |
9. महाविद्यालय भवन तथा उसकी दीवारों पर कृपया कुछ न लिखे और न उसे गन्दा करे क्योंकि अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है |
10. महाविद्यालय में निर्धरित पोशाक में ही प्रवेश करें |
11. अपने छोटी-बड़ी समस्याएं परस्पर मिल-जुल कर समझाये बाहरी तत्वों का समावेश अवांछनीय तथा अक्षम्य है |

विशेष:- छात्रो का व्यवहार अपने अध्यापकों, सहयोगियों एवं अन्य नागरिकों के प्रति विनम्र एवं शिष्ट होना चाहिए उन्हें अपने सभी कार्यो में एक भद्रता का व्यवहार करना चाहिए |